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KHYATI PANCHAL

Children Stories

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KHYATI PANCHAL

Children Stories

वो दिन भी क्या दिन थे

वो दिन भी क्या दिन थे

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वो दिन भी क्या दिन थे,

जब हम थैला लेके स्कूल चले थे।


रह जाता था होमवर्क बाकी,

फिर भी छुट्टी एक भी न मांगी।


ढूंढो उतने बहाने मिलते थे,

क्योंकि सजा से काफी डरते थे।


थकते नहीं शिक्षक कंप्लेन करते,

फिर भी अपने बहाने जारी रखते।


क्लास अभी सिर्फ शुरू हुई है,

और नज़रे बाहर मैदान में गड़ी है।


अभी से इशारों में ऐलान हो रहे,

जुले में सब मेरे पीछे खड़े रहे।


जो भी मानता नहीं यह बात,

होती उस पर पेपर बोल कि बरसात।


मर्जी हो या न हो,

जो पहले बोला झूले पर उसी का राज हो।


ब्रेक में लंच बॉक्स खुलते थे,

टीचर संग पूरे क्लास में बंटते थे।


और वो दिन भी क्या दिन थे,

जब हम थैला लेके स्कूल चले थे।

       



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