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KHYATI PANCHAL

Horror Tragedy

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KHYATI PANCHAL

Horror Tragedy

अंधेरा कमरा....

अंधेरा कमरा....

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बजे सुबह के साढ़े चार,

अंधेरा कमरा है यार।


घड़ी का कांटा ज़िद पे अड़ा,

लगता है कोई पीछे पड़ा।


छोटे से दो चमकीले गोल,

आंखे है या है कोई जोल।


एक, दो, तीन, चार, पांच,

बार बार दिखाने लगे कांच।


एक चुप हो तो दूसरा फुसफुसाए,

कोई है जो आ कर मुझे बचाए ?


भागी फिरी में इधर उधर,

अंधेरे में न कुछ आया नजर।


बजे सुबह के साढ़े चार,

अंधेरा कमरा है यार।


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