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Komal Chowdhari

Abstract Horror Others

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Komal Chowdhari

Abstract Horror Others

कहर

कहर

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अब बस भी कर ऐ कुदरत तेरे कहर को, 

बच्चा बिलख बिलख कर रह गया भूखा, 

कैसे पिलाती मांं इस कोरोना के जहर को, 

अस्पताल में बैठा महामारी से पीड़ित बेटा, 

बूढ़ी आंखें आस लिए दरवाजे पर निहारती,


सुबह दोपहर शाम चारों पहर को, 

हम तो है नादान, पर तू तो है बुद्धिमान, 

माना तेरे गुनहगार है हम, पर तू तो नहीं इंसान, 

नई नवेली दुल्हन, रोती छाती ठोक ठोक कर, 


छू भी ना पाई अंतिम क्षण अपने पिया केे चरण को,

इंसान से इंसान का वजूद चीन डाला,

और अंतिम संस्कार का मतलब बदल डाला, 

अब और नहीं, अब बस भी कर एक कुदरत तेरे कहर को............


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