अंदाज़
अंदाज़
अंदाज़ सबका एक नहीं होता,
कोई मुश्किल से रास्ते पर चलता है,
तो कोई मुश्किल रास्तों पर चलता है,
मैंनेे तो गिर कर खुद को संभालना सीखा,
बहुत बड़े-बड़े सबब मिलते हैं गिरकर
खाई चोटों से जनाब,
शिक्षा का समुंदर है दुनिया,
गिरकर भी यहा वक्त बर्बाद नहीं होता,
कहते हैं आसमान सबका हो कर भी,
हर किसी के पास नहीं होता,
और जिसके पास होता है,
उसके लिए खास नहीं होता,
लफ़्ज़ मेरे भी कभी-कभी दिल से निकल आते हैं,
सुना है दिमाग से निकले
अल्फाजों में हमेशा स्वाद नहींं होता,
चखा तो मैंंने दुसरी कलम किताबों को भी,
बात मानने वाली है,
यहाँ हर किसी का एक जैसा जज्बा़त नहीं होता।