समय
समय
ये तेरा भी है और मेरा भी,
सच कहूँ तो समय किसी का भी नहीं,
आज कहता भी है, कल चुप भी रहता है,
और समय किसी की सुनता भी नहीं,
रात का अँधेरा हो या सूरज का सवेरा,
बस पलक झपकते ही आते हैं,
और पहाड़ जैसी जिंदगी के सलीके सीखा जाते हैं,
ये समय के बाण है साहब,
कमान से निकले तो बस छोटा हो या बड़ा,
अमीर हो या गरीब बिना देखे बरस जाते हैं,
माँ के आँचल की लाडली,
एक दिन माँ भी बनेगी,
पिता के कांधे पर बैठा नन्हा,
एक दिन घोड़ी भी चढ़ेगा,
किसे पता समय कब कैसा पलटेगा,
बस समय पर समय को समय दो, सब समय का ही खेल है,
आज नहीं तो कल ये अपना इतिहास खुद रचेगा,
जहां जवाब देना व्यर्थ है,
वहाँ चुप रह कर सुना करो,
क्योंकि बागीचे के फूलो को मूरत पर सजते देर नहीं होती,
और ना ही श्मशान की चौखट चढ़ते देर होती हैं,
हालत न बदल सको तो कोई गम नहीं बस सब्र करना सिख लो,
समय आने पर समय अपनी आवाज खुद बनेगा,
क्योंकि समय को बदलते देर नहीं होती…………..