वो जिन्दगी भी कोई जिंदगी है!
वो जिन्दगी भी कोई जिंदगी है!
वो जिंदगी भी कोई जिंदगी है !
जो केवल खुद के लिए ही जीया जाये ,
जिन्दगी तो वह है जो अपने संग दूसरों को भी जिलाये।
वो जिंदगी भी कोई जिंदगी है !
जो ख़ुद को खुद तक ही सीमित हो जाये!
जिंदगी तो वह है जो दूसरों को जीने की वज़ह बन जाये ।
वो जिंदगी भी कोई जिंदगी है!
जो अपनी आवश्यकताओं तक ही सिमट कर रह जाए ,
जिंदगी तो वह है जो दूसरों के सूखे होंठों की प्यास और खाली पेट को तृप्त कराये ।
वो जिंदगी भी कोई जिंदगी है!
जो हरदम किसी की आँखों की कांटा बन जाए,
जिन्दगी तो वह जो किसी की मुरझाए से चेहरे की मधुर मुस्कान बन जाये।
वो जिंदगी भी कोई जिंदगी है !
जिसे व्यर्थ में यूँ ही बितायें ,
जिंदगी तो वह जिसका निश्चित उद्देश्य बन जाये।
वो जिंदगी भी कोई जिंदगी है !
जो हर पल ग़मों की थपेड़ों में खुद को जकड़ा पाये ,
जिन्दगी तो जिंदादिली है।
जो हमें वर्तमान में जीना सिखाये।
वो जिंदगी भी कोई जिंदगी है!
जो बिना मुसाफ़िर बने मंज़िल को पाये,
जिंदगी तो वह है जो मंज़िल ना ही सही!
मगर जिंदगी की तजुर्बा हमें सिखलाये।
वो जिंदगी भी कोई जिंदगी है!
जिसमें हम खुशी और दुख के गीत न गुनगुनायें ,
जिंदगी तो वह जो हर परिस्थिति में खुद को खड़ा पाये।
वैसी जिंदगी ही कोई जिंदगी है।
भले ही कोई मनगढ़ंत जिंदगी की कई परिभाषा बताये !
जिसने जिंदगी खुल कर जी ही नहीं !
वो भला खाक जीने की कला सिखला पाये!
वो जिंदगी भी कोई जिंदगी है---!