वो एक शख्स जा रहा है...
वो एक शख्स जा रहा है...
कहीं वो रोता हुआ
कहीं वो हँसता हुआ
कैसे कैसे ख्वाब बनाते
वो एक शख्स जा रहा है
वो मुझसे दूर जा रहा है
किसी मेरे जानते रास्ते पर
मेरी आवाज़ को सुनकर
बेहरा बन
वो एक शख्स जा रहा है
मैं वसंत भी बना और पतझड़ भी
वो एक पेड़ से गिला कर
मुझे बिखरे सूखे पत्तों पर आग लगाकर
वो एक शख्स जा रहा है
कहीं दूर दूर उस सेहरा में
पानी की बूंद भी नहीं
और मुझे वो वहाँ मृगजल छोड़
वो एक शख्स जा रहा है
किसी महबूबा में गुम वो
फूल तोड़कर जाता
मुझ से बिछड़ नीचे की डाली रख
बाग में
वो एक शख्स जा रहा है
देखो वो एक शख्स जा रहा है
वो शख्स जा रहा है..