वो भूखा हैं जनाब....!
वो भूखा हैं जनाब....!


वो दिवाली का लड्डू भी खाता है,
औऱ ईद कि सेवई भी खाता है,
वो भूखा है जनाब उसे
कहा मज़हब समझ आता है !
गरीबों का जज़्बात ना पूछो तो अच्छा है
इनकी कोई जात ना पूछो तो अच्छा है
कितनी मुश्किलों का सामना करके जीते है,
इनके हालात ना पूछो तो अच्छा है!
वह आँशु किसी के देख नहीं पाता,
सबको गले लगाता है,
राम-अल्लाह सिर्फ़ नाम अलग है,
सबको एक बताता है
वो दिवाली का लड्डू भी खाता है,
औऱ ईद कि सेवई भी खाता है,
वो भूखा है जनाब उसे
कहाँ मज़हब समझ आता है !