वो बेवफा थी
वो बेवफा थी
वो तलाश थी जिसे दिल ने चाहा था,
वो हताश थी जिंदगी जिसे बनाया था।
बस आदत नही है मुझे गुनगुनाने की,
वो बेवफा थी दिल ने जिसे भुलाया था।
उसका नाम ही मेरे गम का मसीहा है,
उसके प्यार में टूटा दिल ही नसीबा है।
ठहरी है जहाँ आकर सागर की लहरें,
वहां कोई और नहीं मेरा प्यार डूबा है।
वो कहते हैं अपने दिल की रुस्वाईयां,
दामन में न थीं कभी उनके तन्हाईयां।
मगर अहसास नहीं उन्हें बर्बादियों का,
नहीं आईं कभी मेरे दामन में खुशियाँ।