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Arunima Bahadur

Romance

4  

Arunima Bahadur

Romance

वो अजनबी इश्क़

वो अजनबी इश्क़

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तू अजनबी तब भी था,

तू अजनबी आज भी हैं।

कहने को तो तू प्रेमी था,

पर प्रेम से अनजान तू आज भी है।


तेरे लिए प्रेम एक देह को पाना,

मेरे लिए प्रेम आत्मा का मिलन,

तेरा प्रेम बस कुछ पलों का,

मेरा प्रेम अमर आज भी हैं।


तुझे लगा असफल है इश्क़,

न पाकर मेरी देह को,

पर जी कर यह इश्क़,

प्रेम मेरा आत्मीय आज भी है।


तुझे लगते होंगे सब झूठे वादे,

मेरे लिए सब कर्तव्य की बाते,

दूर रह जो इश्क़ कामयाब,

ऐसा इश्क़ अमर आज भी है।।


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