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Niraj Pandey

Romance

4  

Niraj Pandey

Romance

वो-2

वो-2

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कभी कभी वो हमें सताती थी 

क्रोध में आकर हमें छोड़ जाती थी 

पर याद हमारी जब उसे सताती थी 

उल्टे पैर वो दौड़ी चली आती थी 


बातों ही बातों में सारे गम भुलाती थी 

जुल्फों के साए में हमे सुलाती थी 

याद जब भी आए हमे बुलाती थी 

बिन हमारे इक पल रह भी न पाती थी 


नैनो में जब वो काजल लगाती थी 

कजरारी आँखों से बिजली गिराती थी 

बालों को जूही के फूलों से सजाती थी 

जिसकी महक सारे घर को महकाती थी 


मुस्कान उसकी मेरे दिल को लुभाती थी 

मीठी सी बोली दिल घायल कर जाती थी 

हौले हौले से जब वो गीत गुनगुनाती थी 

मन मे जैसे कोई उमंग नई जगाती थी 


नए जीवन के सपने बुनती जाती थी 

सपनों में अपने घर को सजाती थी 

शायद कुछ कहना भी चाहती थी 

पर किसी डर से वो कह भी न पाती थी 


आज भी मुझे याद उसकी आती है 

जो कभी मुझको भूल भी ना पाती थी 

यादों को उसकी दिल मे बसाकर 

जिंदगी अब ये कटती चली जाती है।


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