कभी कभी वो हमें सताती थी क्रोध में आकर हमें छोड़ जाती थी। कभी कभी वो हमें सताती थी क्रोध में आकर हमें छोड़ जाती थी।
प्रेम की कोई भाषा नही प्रेम नही अव्यक्त प्रेम और स्पर्श प्रेम की मर्यादा मर्म ।। प्रेम की कोई भाषा नही प्रेम नही अव्यक्त प्रेम और स्पर्श प्रेम की मर्यादा मर्म ।।