परिवार
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लोरी वो गाती है मुझे गोद मे सुलाती है
सारी तकलीफें सारे दुख दर्द पल में वो भुलाती है
पास वो बुलाती है गले भी लगाती है बालों को मेरे प्यार से सहलाती है
मेरी माँ मुझको अपने हाथ से खिलाती है!
दर्द जब हमें होता है आँखे उसकी रोती है
बच्चा तकलीफ में हो तो माँ भी नही सोती है
साथ खड़े रहते हैं बड़ी तकलीफें सहते हैं
अपने किए वादों से कभी ना मुकरते हैं
उंगली पकड़ कर चलना सिखाकर फिर हमें पैरों पे वो खड़ा करते हैं
मेरे पापा मुझको बहुत प्यार करते हैं
मेरी दीदी मेरी माँ का ही इक छोटा रूप है
अपनी ममता की छाँव से ढँक लेती गम की धूप है
भाई मेरे मुझे मेरे बड़े ही प्यारे मेरे दोनो आँखों के तारे
साथ हमेशा मेरा देते बनके रहते मेरे सहारे
मेरी जीवनसाथी जबसे है आई जीवन मे कई ख़ुशियाँ है लाई
गुड़िया सी दो प्यारी बेटियाँ मन में नई उमंग लाई
कई है रिश्ते कई नाते हैं जिनसे हम जाने जाते हैं
पर उन सब रिश्तों में बढ़कर माँ को ही हम जान पाते हैं
इतना ही कहना है तुमसे मेरे यारों माता पिता का दिल कभी न दुखने पाए
यही अपने जीवन मे भगवान का इक रूप है इनकी छाँव से गम की धूप न होने पाए!