वक्त वक्त की बात है..
वक्त वक्त की बात है..
वक्त वक्त की बात है..
वक्त किसी के साथ चलता नहीं..
हमें वक्त के साथ चलना पढ़ता है...
जैसे ही वक्त आगे बढ़ता जाता है..
हमें भी उसके पीछे पीछे भागना पड़ता है..
हम भागते रहते है.. और समय हमें भगाता रहता है..
जीवन की भागदौड़ में वक्त कहाँ निकल जाता है..
हमें भी पता ही नहीं चलता..
और हम उसके पीछे भागते रह जाते है..
एक मुकाम की आस पर..
पर वो मुकाम कभी नहीं आता..
वक्त वक्त इंसान को अपने से इतनी
उम्मीदें बढ़ जाती है की वो ..
मरते दम तक पूरी नहीं होती है..
हम अपनो के प्यार के बहाव में बढ़ते चले जाते है...
और उम्मीद आस पर जीवन जी जाते है..
समय आज ऐसा हो गया की
हमारा आज का दिन अच्छा रहे..
इसी आशा में हम अपना दिन गुजार दे..
कल की अपेक्षा में अपना आज खराब ना करे..
वक्त पर जो होना है वो होकर रहेगा..
फिर चिंता में अपना जीवन क्यों जीना..
आज में अभी में खुश रहे..