STORYMIRROR

Anil Pandit

Drama Fantasy Inspirational

4  

Anil Pandit

Drama Fantasy Inspirational

वक्त का आईना

वक्त का आईना

1 min
6

शहर में उदासी की बात हो रही है

ये कौन रो रहा है या फिर बादल बरस रहा है


किसकी सिसकियाँ सुनाई दे रही है

शायद फिर कोई सपना टूटा है


दर्द की परछाई बोल गई है

निगाहों की बेबसी  बह रही है


वक्त के आईने में

तुम भी वही हो और गम भी वही है


फिक्र तो हो रही है

जिंदगी जिस तरह गुजर रही है



क्यों शब्दों में कहा नहीं जाता

हाल जो है और एक गुमनाम तकदीर का


यकीन होता है उसपर भी

मीठी बात बोलता है जो

चेहरे पर एक और चेहरा ले कर


वक्त का आईना

इंसान की पहचान  दिखा ही देता है


फिर से उम्मीद की नाव पर सवार होकर

जिंदगी को जीना है  जी भरकर



Rate this content
Log in

More hindi poem from Anil Pandit

...

...

1 min read

...

...

1 min read

...

...

1 min read

...

...

1 min read

...

...

1 min read

...

...

1 min read

...

...

1 min read

...

...

1 min read

...

...

1 min read

Similar hindi poem from Drama