हमसे शिकायत आखिर कब तक
हमसे शिकायत आखिर कब तक
शिकायत क्यों करते हो
बात ना करने पर
हम वही है जो
मनाते है आपको रुठने पर
पल दो पल की शिकायत के लिए
इतना भी क्या एतराज बेरुखी से
जब भी शिकायत होती हमसे
कागज की हथेली पर लफ़्ज़ की तितली
बोल जाती हैं चुपके से
बहाना कोई ढूंढते हो आप शिकायत का
हमसे कहां नहीं जाता हाल दिल का
अब और न लाओ शिकायतों का सैलाब
तोहफे में भेज देते है हमारे शहर के गुलाब
ख्यालों के आईने पर
हकीकत की दस्तक
हमसे शिकायत आखिर कब तक
