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Anil Pandit

Abstract Romance Fantasy

4  

Anil Pandit

Abstract Romance Fantasy

तुम वही थे

तुम वही थे

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4

जो चेहरे का नूर दिखता था

मुझे खयालो की रोशनी में

तुम वही थे मेरे अपनो में


कभी जो बैठ जाता था दरख्त के साये में

धूप आ जाती थी तुम्हारी याद लिए


पंछियो की जो बोली समझ पाता मै

तुम्हारे नाम के ही गीत सुनाता उन्हें


अब तक वो खत मिला नही तुम्हे

जिसमे कहानी का किरदार छुपा हुआ कब से


तो क्या हुआ दुरी का दरिया बहता है

एहसास की लहरो में प्यार हमारा बढता है


फिर रात की चांदनी आएगी

सादगी भरा लम्हा लायेगी

इसी चांदनी के गहरे वजूद में

इजहार करुंगा मै अपने दिल से


तुम अब संभाल लेना

वही सादगी भरा लम्हा

जिसमें इजहार की बात है बया


बिखरे बिखरे समंदर में

साहिल वही इंतजार में

रेत पर लिखता हू मै

दोनों का नाम जोडकर हमेशा के लिए


तुम वही थे तुम वही थे

बरसो ख्याब  में दिखते

अभी देख लेना आके

वही ख्याब है तकिये के तले


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