वजूद
वजूद


प्रेम हूँ मैं
वैसे तो मेरा
अस्तित्व बहुत
ही बड़ा है
पर अगर
सच कहूँ तो
डर जाता हूँ
कभी कभी
सच्चाई जानकर ,
मेरी हस्ती बहुत
छोटी है एक तेरे
जज़्बे से ही मैं हूँ
केवल तेरे दिल
का वो ज़ज़्बा
जो मुझे कभी
ईश्वर के समीप
खड़ा कर देता है
और कभी मेरा
पूरा का पूरा वजूद
तेरे दिल के दरवाज़े
पर पनाह पाने को
भूखे प्यासे ही
तड़पता रहता है !