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Abhay singh Solanki Asi

Tragedy

4  

Abhay singh Solanki Asi

Tragedy

विष

विष

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नाग अचानक ही झाडियों में छुपने लगा तो पास खडी़ हथिनी ने उत्सुकता वश पूछा--  

"भाई किससे ड़र रहे हो? "- नाग बोला "देखती नही हो आदमी आ रहा है" तो हथिनी ने सहजता से कहा "तो इसमें क्या मैं भी तो घूम रही हूँ और फिर आदमी तो हमें देवता मानते हैं l"

नाग ने कहा " तू समझती नही यह सब तो उनका ढकोसला हैं ।लोग मुझे देखते ही मार डालते हैं भले ही मै अपनी तरफ से किसी का कोई नुकसान ना करूं पर वो तो समझते है कि बस मेरे अन्दर विष भरा है lतू मेरे से अलग है ना इसलिये तुझे छोड़ देते हैं l"

हथिनी ने अपना सिर उपर कर भगवान का शुक्रिया अदा किया कि उसे नाग से हटकर बनाया और वहां से चल दी l

एक दिन हथिनी को लोगों ने कुछ फलों  के आकार में विस्फोटक पदार्थ खिला दिया हथिनी मारे दर्द के छटपटा उठी l

वह कुछ समझ ही नही पायी कि उसके साथ लोगों नें ऐसा क्यो किया उसे नाग की बात याद आई और मरते मरते कराहते हुये बुदबुदाई , बैचारे नाग को खुद के बारे में कुछ पता ही नही था , विष उसके अन्दर नही- विष तो मनुष्यो के अन्दर भरा है l 



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