ब्रह्माण्ड के सितारे
ब्रह्माण्ड के सितारे
बांधो मत उन्हें भारी बस्तों के बंधन में
जाने क्या क्या चलता है उनके मन में
जैसे भी वो बतियाते हैं बतियाने दो
उनकी ही भाषा में उन्हें तुतलाने दो
मत डालो उन्हें भाषाई उलझन में
जाने क्या क्या चलता है, उनके मन में
कहने दो गर कहते हैं ,मून को मामा
मत पहनाओ अपने ज्ञान का जामा
एक दिन तारे होंगे वे नील गगन में
जाने क्या क्या चलता है उनके मन में
खेलकूद की उम्र है यह अभी उनकी
मत सिखाओ उन्हें ये पहाड़े -गिनती
सितोलिया के सात अंक है जेहन में
जाने क्या क्या चलता है उनके मन में
ना डालों नन्हे कानों में तुम क्लोरोफील
पौधे क्यूँ होते हैं हरे, इसकी फील- वील
क्यूँ उलझाते हो इन्हें विज्ञान-रसायन में
जाने क्या क्या चलता है उनके मन में
आन लाइन छीन लेगा इनका आनन्द
ये खुद है गौतम, गांधी, और विवेकानंद
पाठ्यक्रम काम नहीं आयेगा जीवन में
जाने क्या क्या चलता है उनके मन में।।
