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Vimla Jain

Children

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Vimla Jain

Children

दौड़ चूहा बिल्ली आई

दौड़ चूहा बिल्ली आई

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देखो देखो खुशी फ्रेंड सुहानी संग दौड़ रही है।

निश्चल हंसी का पिटारा खोल रही है।

दौड़ चूहा बिल्ली आई।

तू चूहा मैं बिल्ली हूं।

मैं तुझ को पकड़ने आई हूं।

यह कहती वो दौड़ रही है।

साथ बहुत ही हंस रही है।

निश्चल हंसी से वातावरण को खुश कर रही है।

सुहानी भी कम नहीं है चूहे जैसे दौड़ रही है।

हंसते-हंसते दौड़ रही है।


आजा पकड़ ले आजा पकड़ ले कर रही है।

 उसको मात दे रही है।

 दौड़ चूहा बिल्ली आई जोर जोर से बोल रहे हैं।

 फिर थक कर लोन में गिर पड़े।

जोर-जोर से हंसते-हंसते निश्चल से वातावरण को खुश करके।

 एक दूसरे के गले लग करके, खुशी से मजे कर रहे हैं।

देख उनकी निर्दोष मस्ती

 हमको भी बचपन याद आ गया। 

क्या खिलखिला कर हंस रहे हैं दोनों।

हमें भी अपना खिलखिलाना याद आ गया।

 सच कहते हैं बचपन की हर मस्ती में बहुत चंचलता होती है।

 बड़े होने के बाद वह कहां लुप्त हो जाती है।

 ऐसे ही चंचल रहना मेरे बच्चों क्योंकि गंभीरता बहुत जल्दी बड़ा बना देती है।



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