क्यों झुके नैन
क्यों झुके नैन
महान राजा हरीश चंद्र एक
दानवीर और परोपकारी इंसान थे।
वे जब भी किसी को दान दिया करते थे,
तो उनके नैन झुका लिया करते थे।
एक बार उन्होंने अपनी सभा में अपने राज्य
और पड़ोसी राज्यों के सभी संत और विद्वानों
को अपनी सभा में बुलाया।
सभा के अंत में जब वे दान देने लगे,
तब गोस्वामी तुलसीदास जी,
जो कि थे मौजूद उस सभा में,
किया उनसे ये प्रश्न की -
"हे राजन, कहाँ से सिखा ये अद्भुत बात,
जब जब उठते हाथ आपके दान के लिए,
तब तब झुक जाते आपके नैन ?"
राजा हरीश चंद्र ने इसके उत्तर में
बताई ऐसी बात की कायल हो गए
उपस्थित सभी वहां सुन राजा की बात।
बोले राजन - देने वाला वो सबका नाथ,
देता मुझे सब वही,
फिर भी जब बाटूं मैं उनकी देन,
तब करते शुक्रिया सभी मेरी ,
करते मेरी ही जय जयकार,
ये भूलकर कि देने वाला कोई और है
और बाटने वाला कोई और!
ये सोचकर स्वयं ही ,
झुक जाते मेरे नैन!
