जुगनू
जुगनू
अमा की
उस रात में
मैं तो भटक ही गया होता
यदि चंद जुगनुओँ ने
दिखाई न होती रोशनी मुझे
और आज जब
मैं अपनी मंजिल पर हूँ
तो देखो आ गए
ये चाँद सितारे
वाही वाही बटोरने ।
अमा की
उस रात में
मैं तो भटक ही गया होता
यदि चंद जुगनुओँ ने
दिखाई न होती रोशनी मुझे
और आज जब
मैं अपनी मंजिल पर हूँ
तो देखो आ गए
ये चाँद सितारे
वाही वाही बटोरने ।