STORYMIRROR

Abhay singh Solanki Asi

Others

4  

Abhay singh Solanki Asi

Others

चाँद पर चंद नई कवितायें

चाँद पर चंद नई कवितायें

1 min
624


चाँद गिर पड़ा 

जमीं पर 

और वर्षा थम गई

आसमाँ में 

चाँद लटकता कहाँ 

और वर्षा को 

आमंत्रित करता कौन 

पेड़ ही नही था 

जमीं पर

......................

दूर पेड़ पर लटके

अर्ध चाँद को 

देखकर 

फूटपाथ पर सोई माँ को 

भूखे बच्चे ने जगाया 

और बोला " माँ देखो "

मकई की आधी रोटी 

माँ बोली सो जा बेटा 

चाँद रोटी नही होता 

..........................

चाँद उपगृह है 

पृथ्वी का 

तुम्हारे मेरे और 

वैज्ञानिकों के लिये 

बच्चों के लिये तो मामा ही है 

फिर चाहे बच्चे 

मेरे हो , तुम्हारे हो 

या वैज्ञानिकों के।



Rate this content
Log in