अर्पण
अर्पण
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किया है जीवन अर्पण विद्या के नाम
पंद्रह साल न देखी सुबह और शाम।।
न रहे हाजीर कोई वार त्योहार में
न गये कीसी की शादी ब्याह में।।
फल मीला इस अर्पण का बहुत बड़ा
हो गये आज हम अपने पैरों पर खड़ा।।
ना हाथ फैलाना पड़ता है दूसरे के सामने
करतें है आगे हाथ मदद कर खुशियाँ पाने।।