त्रिवेणी संगम
त्रिवेणी संगम
२०२१ था हमारा सुख दुःख और सम्मान का संगम।
बदल दिया इस साल ने जीवन जीने का अभीगम।।
जनवरी ने दिया हमे राष्ट्रीय प्रशिक्षण का मौका।
साथ में दे दिया सबसे बड़ा धोखा।।
फरवरी ने मौका दिया मुझे
अभिनव राजूआत का।।
साथ में दे दिया धब्बा जूठी बदनामी का।।
मार्च ने दिया मौका कवि समेलन में जाने का।
साथ में दिया रोग डिप्रेशन का।।
अप्रैल ने दिया सन्मान सुपर स्पीकर एवम श्रेष्ठ लेखिका का।
साथ में अनुभव किया मौत का खौफ।।
मे महीने ने दिलवाया परिवार का सहकार।
जून में मिला अंतराष्ट्रीय शिक्षक सम्मान।
साथ में मिला मजाक मशकरी का इनाम।।
जुलाई में मिला फिर से श्रेष्ठ पुरुस्कार।
साथ में मिला राष्ट्रीय प्रशिक्षण का सार।।
फिर भी मन मेरा रहा अशांत।।
अगस्त में मिला परमात्मा का सहारा।
हर मुश्किल में मिला सहकार।।
तब से लेकर सारा वर्ष मिलता रहा मान।
बढ़ चुकी मेरी सारे विश्व में शान।।