सर्दी की वो शाम
सर्दी की वो शाम
वो शाम जब की मैंने यात्रा
सर्दी की थी शाम वो।।
बस भी थी तब दो घंटे लेट ।
न ले कर गए थे रजाई।।
मच्छर का बड़ा उपद्रव था।
सर पे बड़ा टेंशन था।।
बस अब तो एक ही था उपाय।
पी स्टेशन पे गर्म गर्म चाय।।
साथ में गर्म गर्म पकोड़ा खाया।
चाय पकोड़े के सहारे ठंड को भगाया।।
एक बात तो यह शाम शिखा कर गई ।
लेनी पड़ेगी ट्रावेल बेग अब नई।।