कोई बात बने
कोई बात बने
अस्त होकर उदय सूर्य का वह तो दैनिक घटना है।
अस्त होते हुए मानव मूल्यों का हो उदय तो कुछ बात बने।।
पहुंच चुके हैं मानव चांद तक।
पहुंचे अगर एक दूसरे के दिल तक तो कोई बात बने।।
वक्ता बोले और लोग सुने कथा यह तो दैनिक घटना है।
सुने कोई अस्त हुई नारी की व्यथा तो कोई बात बने।।
निकलती है रैली होता है आंदोलन यह तो दैनिक घटना है ।
अस्त हुई पुरुष की पवित्र दृष्टि का उदय तो कुछ बात बने।।
विभक्त कुटुंब होना यह तो दैनिक घटना है ।
अस्त होते हुए संयुक्त कुटुंब का फिर से उदय हो तो कुछ बात बने।।