Ritu Rose

Tragedy

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Ritu Rose

Tragedy

विश्वास

विश्वास

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एक-एक पल बिता रही थी मैं इस आस में

कभी तो मुझे अपनाओगे इस विश्वास में

हंसते के साथ हंसना रोते के साथ रोना

मेरी जिंदगी बन गई थी एक खिलौना

मैंने हर फर्ज निभाएं जो पत्नी के होते हैं

मेरे मन का हर कोना तार तार सब रोते हैं

आज मेरी अंतिम सांस भी इस विश्वास में थी

तेरे साथ की मिल जाएगी मुझे एक मुट्ठी

आपके दरवाजे की तरफ टकटकी बांधे हुए थी

क्या इतने चेहरों में तेरा भी चेहरा दिखेगा कहीं।


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