तो क्या आप मेरा भविष्य सुधारोगे तो क्या आप मेरा भविष्य सुधारोगे
सिर्फ़ मैं और तुम। सिर्फ़ मैं और तुम।
तब भी क्या तुम ऐसे ही मौन पड़े रहते हो, निर्निमेष टकटकी बांधकर। तब भी क्या तुम ऐसे ही मौन पड़े रहते हो, निर्निमेष टकटकी बांधकर।
खुशियाँ कहाँ हैं ये हमारे देखने, समझने महसूस करने पर निर्भर है। खुशियाँ कहाँ हैं ये हमारे देखने, समझने महसूस करने पर निर्भर है।
उसकी इस अवस्था में उसे छेड़ने का मन तो नहीं कर रहा था उसकी इस अवस्था में उसे छेड़ने का मन तो नहीं कर रहा था