विरोधी
विरोधी
झम झमा झम पहाड़ों पर बरसी बारिश सुहानी
काले मेघों से जी भर लुभाती ये मनभावनी,
तृप्त करती इसकी एक-एक बूंदें
सार्थक करती हैं सबके मंसूबे,
इसके इंतज़ार में रहता हर एक तबका
आशान्वित भविष्य जुड़ा है इससे सबका,
इन पहाड़ों की खेती का यही सहारा हैं
प्यासी धरती ने बादलों को दिल से पुकारा है,
जब सूरज बादलों का पानी सोख लेते हैं
तब ये बादल धरती की पुकार नहीं सुनते हैं,
सूखे बादल सूरज से करते प्रार्थना हैं
अपना ताप कम करो यही कामना है,
बारिश और सूरज आपस में विरोधी हैं
एक दूसरे के प्राकट्य में ये अवरोधी हैं,
सूरज अपना प्रचंड रुप सबको दिखाता है
इसके इस रूप से दिल सबका घबराता है,
सारी आशाएं हरियाली की क्षीण होने लगती हैं
जब धरती मां सूरज का प्रचंड रूप सहती हैं ।