विद्या अनमोल धन
विद्या अनमोल धन
विद्या सत्कार,विद्या कीर्ति,विद्या अमृतत्व का साधन,
विद्या अनमोल धन, विद्या से उज्ज्वल होता जीवन,
बिन आभूषण का ये उत्तम श्रृंगार, जीवन करे उद्धार,
मित्र समान साथ रहे हमेशा सुखी जीवन का आधार,
कुरूप के लिए रूप विद्या कमज़ोर के लिए ताकत है,
ना कोई छीन सके इसे ना चुरा सके ऐसी ये दौलत है,
बल और धन के बल पर मिले क्षण मात्र का सम्मान,
किंतु विद्या धन से तो ताउम्र बढ़े यश और मिले मान,
विनम्रता लाती है विद्या बुद्धि का करती है ये विकास,
अधिकार कर्तव्यों का बोध करा जीवन करती उजास,
कितने भी ऊँचे कुल का हो विद्या नहीं तो शोभा नहीं,
वो पुष्प आकर्षित कहाँ करते हमें जिसमें सुगंध नहीं,
विद्या के बल पर ही तो देश कर पाया इतना विकास,
विद्या का अनुकरण सदैव सर्वोत्तम साक्षी है इतिहास,
विद्या बिना अंधकार जीवन और मानव है पशु समान,
विद्या के कारण प्राणियों में सर्वश्रेष्ठ मानव बना महान,
सुखकारक है विद्या परिवार समाज के लिए हितकारी,
कल्पवृक्ष समान विद्या सदैव ही होती है कल्याणकारी।