विचारों का दलदल
विचारों का दलदल
विचारों की दलदल में
फंस कर रह गई हूँ
अपने उसूलों की चौखट पर
धंस कर रह गई हूँ !
खामोशी चीख रही है
शोर भी बेजुबान है !
तू जो साथ नहीं है तो
महफ़िलें भी शमशान है !
दिल के दश्त में कहीं भटक कर
मेरे शब्दों का कारवां रुक गया है !
धड़कनें खामोश हैं
नब्ज थमने लगी है !
आँखों में मुरझाए ख्वाबों की,
किरचें चुभने लगी हैं !
काश की बन के वक़्त रहबर
तुझको मेरे दर की राह दिखाये !
मौन मुस्कुराने लगे,
शब्द सारे गुनगुनाने लगे
शब्दों में मेरे फ़िर से
नाम तेरा आने लगे
धड़कने मेरे दिल की,
गीत तेरे गाने लगें !
तेरे प्यार की खातिर में विचारों की
दलदल को फांदकर
उसूलों की हर
चौखट को लांघकर
थाम लूँ हाथों मे हाथ तेरा
मेरे लबों पे हो नाम सिर्फ तेरा !
तेरे हाथों की छुअन से
मेरी साँसें बहकने लगें !
जिंदगी अपनी खुशी से
फिर चहकने लगे !
