STORYMIRROR

Radha Shrotriya

Classics Inspirational Others

4  

Radha Shrotriya

Classics Inspirational Others

विचारों का दलदल

विचारों का दलदल

1 min
41

विचारों की दलदल में

फंस कर रह गई हूँ

अपने उसूलों की चौखट पर

धंस कर रह गई हूँ ! 


खामोशी चीख रही है

शोर भी बेजुबान है !

तू जो साथ नहीं है तो

महफ़िलें भी शमशान है !


दिल के दश्त में कहीं भटक कर 

मेरे शब्दों का कारवां रुक गया है !

धड़कनें खामोश हैं

नब्ज थमने लगी है !


आँखों में मुरझाए ख्वाबों की,

किरचें चुभने लगी हैं ! 

काश की बन के वक़्त रहबर

 तुझको मेरे दर की राह दिखाये !


मौन मुस्कुराने लगे,

शब्द सारे गुनगुनाने लगे 

शब्दों में मेरे फ़िर से 

नाम तेरा आने लगे 


धड़कने मेरे दिल की,

गीत तेरे गाने लगें !

तेरे प्यार की खातिर में विचारों की

दलदल को फांदकर 


उसूलों की हर

चौखट को लांघकर 

थाम लूँ हाथों मे हाथ तेरा

मेरे लबों पे हो नाम सिर्फ तेरा !


तेरे हाथों की छुअन से

मेरी साँसें बहकने लगें ! 

जिंदगी अपनी खुशी से

फिर चहकने लगे !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics