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garima agarwal

Classics

3.3  

garima agarwal

Classics

फ़ितरत

फ़ितरत

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मौसम और इश्क़

दोनों की फितरत एक जैसी है। 


कभी पतझड़ बन कर सारी रोनक छीन लेते है, 

तो कभी हर डाली पर फूल खिलखिलाते है। 


कभी ठंडी हवाएं बर्फ़ बन कर गिरती है, 

तो कभी गर्म हवायें आग बरसाती है।


ढक देती है बर्फ़ की परत जिन पहाड़ियों को, 

वही धूप पड़ते ही वो नदिया बन कर बह जाती है। 


रंग हजार है इस कुरदत के भी देखों, 

फिर इश्क़ तो बेमतलब ही बेवफ़ाई का नाम ले जाता है।


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