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garima agarwal

Abstract Romance

3  

garima agarwal

Abstract Romance

इश्क़

इश्क़

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सामने तू हो मेरे और, 

नज़रें तेरा दीदार करती रहे। 

बिना झपकाये पलकें, 

इश्क़ का ख़ामोशी से इज़हार करती रहे।। 


तुझे देख कर जो बंद हो आँखें, 

उन बन्द निगाहों में भी तेरी सूरत नज़र आती रहे। 

लबों से कुछ न भी कहूँ, 

हर स्वास पर तेरा नाम चलता रहे।। 


न हो बात कोई, तो गम नहीं, 

बस दिल से दिल का तार जुड़ा रहे। 

तन से न सही पर मन से संग रहना, 

बस यही दुआ मेरी कुबूल होती रहे।। 

रुकमणि जैसा साथ नहीं, 

पर राधा जैसा प्रेम मिलता रहे। 

शरीर का संबंध नहीं, 

पर रूह का मिलन होता रहे.... बस होता रहे।। 



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