झूठ और सच
झूठ और सच


झूठ की मिठास और सच की कड़वाहट
सच चाहे जितना भी कड़वा हो
पर सुनने वाले को कुछ या उस पल के लिए
दुःख देता है
पर वो सच और उसकी कड़वाहट
उसके भावी जीवन को सुख से भरने की
वो दवाई है जो धीरे धीरे असर करती है
परन्तु उसके जीवन से बहुत सी
समस्याओं को दूर कर देती है।
इसके विपरीत झूठ बहुत मीठा होता है
सुनने वाले को बहुत आनन्द देता है
पर बस तब तक जब तक
उसे सच का अनुभव न हो
जैसे ही उसे सत्य का ज्ञान होता है
उसका वो मीठा आनन्द एक ही पल में
गहन दुःख में परिवर्तित हो जाता है
और वो जीवन भर उसे कष्ट देता है।
'अतः प्रयास करें की चाहे जितना भी कठिन हो
और कटु हो ,पर सच ही बोले।"