दिल की बात
दिल की बात
दिल की बात अब दिल में ही रखेंगे
जुबा पर नहीं लाएंगे।
अपने जज़्बातों और भावनाओं का
और मज़ाक नहीं बनवाएंगे।।
अब जिसे जितना वक़्त चाहिए
बस उतना ही वक़्त देंगे।
यूं ही किसी के लिए हर वक़्त
मौजूद नहीं रहेंगे।।
बहुत खेल लिया लोगों ने दिल के साथ
अब इस दिल को संभाल के रखेंगे
जिसे आना है आये
जिसे जाना है जाये।।
आने वाले का दिल से स्वागत
और जाने वाले को खुशी खुशी विदा करेंगे।
अब जो जैसा है
उसके साथ वैसा ही व्यवहार करेंगे।।
अब भावनाओं का मज़ाक
और दिल को खिलौना नहीं बनने देंगे
अब संभल गये है
और संभल के ही चलेंगे।।
हर पल रंग बदलते देखा है
अब झूठी रस्मों, कसमों,
बातों और वादों में नहीं उलझेंगे।
समझ गए है लोगों की फितरत को
अब ठोकर नहीं खाएंगे।।
दिल की बात अब दिल में ही रखेंगे,
जुबां पर नहीं लाएंगे।।