घर-परिवार
घर-परिवार
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यूँ तो अहले चमन में
तमाम जगहें हैं जन्नत से हसीं
पर मेरे दर सा कोई नहीं ।
जी हाँ, जहाँ हम बस जाएँ,
जहाँ रुकते ही दिल कहे बस यही है
वो सबसे सुन्दर खूबसूरत ज़मीं ।
जिसकी दरकार ज़माने से थी
तो समझ लीजिए फ़लक से
मुकम्मल जहाँ मिल गया।
न हिल स्टेशनों की चाह मुझे
न वादियों की थाह मुझे
मुझे तो प्यारा है मेरा छोटा सा घर ।
जहाँ बरसती हैं स्नेह की रिमझिम फुहार,
यहाँ वो सब मिलता है जिसकी हो दरकार ।
सारे जहाँ से प्यारा मेरा घर-परिवार ।
बचपन की हँसी अनुभवों की धार
स्नेह और आशीष करें जीवन का संचार
प्रफुल्लित तरंगित मेरा स्नेहिल संसार
हाथ जोड़ हे ईश्वर करें तेरा आभार
यही तो है मेरे जीवन का सार
सारे जहाँ से प्यारा मेरा घर-परिवार।