नववर्ष
नववर्ष
दिन कुछ ही बचे हैं साल के गुजरने में
एक साल नया और जुड़ जायेगा जीने में
कुछ मिले नये लोग कुछ अपने बिछड़े थे
शुरुआत दर्द दहशत आज फिर वही सीने में
ज़िंदगी सिमटती चली जा रही है
वास्तविकता से कटी जा रही है
अपना लिया था मैंने उसको भी प्यार से
रूप बदल बदल वही वार कर रहा है
सोचती हूँ आने वाला साल ऐसा हो
परजीवी को घटाये कोई भाल ऐसा हो
सोच सोच कर यही जी रही हूँ मैं
क्या पता बाइस में न काल ऐसा हो
दोस्त भी कई मिले कई दुश्मन बने
याद हैं हमें सभी राह जो भी मिले
ज़िंदगी कटी पतंग सी लटक गयी
आस्तीन के नाग जब पग पग मिले
बोल मीठे बोल यहाँ बोलता है वही
काम जब तलक उसके आती रही
तालियाँ महफ़िल की होती गुलाम है
तन्हाइयों से मिलने कोई आता नहीं
न समझ क्या पता गुजरे साल थे रहे
समझ अब सच्चाईयाँ आ रही हैं उसे
देखने में लगती अगर चेहरे से मासूम वो
ये आपकी है बेवक़ूफ़ी आपने समझा उसे
बदल रही दुनिया कि बदल रहे लोग हैं
आज जो thaur है कल कहीं और है
सीढियां चढ़नी यहाँ सबको ही है मगर
पहुँच रहा शीर्ष वही जिसके पैर और हैं।