ईमान
ईमान
कोड़ियों में बिकने वालों की
नीयत की क्या पोषाक
उछालों सिक्के खरीद लो ईमान,
उसके के लिए देश ना धर्म..l
जोंक की तरह ख़ून पीपासू है
विचार और समाज का l
सियासत की आर में बट रहे हैं लोग.. l
फिर से राजनीति का ज़हरीला हवा उड़ा
बँट गए फिर से नस्ल भेद में लोगl
नोटों से ख़रीदी गई ईमान आदमी का
हर बार फिर से धोखा खा जाती जनताl
ग़रीब , पिछड़ा, दलितों का मर्म को भेद कर
अपनी सत्ता को हासिल करता राजनेता….. l