Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Damyanti Bhatt

Classics

3  

Damyanti Bhatt

Classics

मां बाबा

मां बाबा

1 min
190


मिट्टी का चूल्हा

उस पर तवा

कोयले मैं सिकी रोटियों की मिठास


मां का अंगारों पर रोटियां सेकना

हाथ जल जाना

गरम रोटियों पर घी चुपड कर लगाना

फूंक मार कर आग संभालना


छोटी उम्र मैं ससुराल आने का भाषण

मां की ममता से दूर

अपनी क्षमता का बखान करना


रास्ते पर घर

बटोइयों की चहल पहल


मेरे बाबा का बचपन

उनकी चुप्पी

उनका त्याग


दिन रात की मजदूरी

वो कण कण जोडना

एक आइना हैं मेरे बाबा


आज उनकी गृहस्थी मैं

वो एहसास नहीं


अंतर आ गया 

उम्र और रिश्तों मैं


मां और बाबा

एक आधार हैं हमारे

उनके बिना बहुत छोटे और अकेले हैं हम


बाबा भी बडे अजीब हैं

थोडा डांटते और फिर मुस्कुराते हैं

मां कहती कैसे बीता जीवन मेरा

एक इतिहास सुनाती


अजब गजब कथा है दोंनों की

नयन भर आते हैं


किस मिट्टी से बने दोंनों

हर फल मुस्कुराते हैं

कभी न भूलैं हम उनके उपकार

जीवन मैं एक बार मिलती जवानी

मां बाबा का प्यार


पता तो चल ही जाता है

कोई लाख छुपाता है

चरित्र से _कुल

शरीर से _भोजन

भाषा से_ज्ञान

नयनों से प्रेम।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics