मां बाबा
मां बाबा
मिट्टी का चूल्हा
उस पर तवा
कोयले मैं सिकी रोटियों की मिठास
मां का अंगारों पर रोटियां सेकना
हाथ जल जाना
गरम रोटियों पर घी चुपड कर लगाना
फूंक मार कर आग संभालना
छोटी उम्र मैं ससुराल आने का भाषण
मां की ममता से दूर
अपनी क्षमता का बखान करना
रास्ते पर घर
बटोइयों की चहल पहल
मेरे बाबा का बचपन
उनकी चुप्पी
उनका त्याग
दिन रात की मजदूरी
वो कण कण जोडना
एक आइना हैं मेरे बाबा
आज उनकी गृहस्थी मैं
वो एहसास नहीं
अंतर आ गया
उम्र और रिश्तों मैं
मां और बाबा
एक आधार हैं हमारे
उनके बिना बहुत छोटे और अकेले हैं हम
बाबा भी बडे अजीब हैं
थोडा डांटते और फिर मुस्कुराते हैं
मां कहती कैसे बीता जीवन मेरा
एक इतिहास सुनाती
अजब गजब कथा है दोंनों की
नयन भर आते हैं
किस मिट्टी से बने दोंनों
हर फल मुस्कुराते हैं
कभी न भूलैं हम उनके उपकार
जीवन मैं एक बार मिलती जवानी
मां बाबा का प्यार
पता तो चल ही जाता है
कोई लाख छुपाता है
चरित्र से _कुल
शरीर से _भोजन
भाषा से_ज्ञान
नयनों से प्रेम।