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Rita Jha

Abstract Classics

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Rita Jha

Abstract Classics

सुबह

सुबह

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सुबह का प्यारा प्यारा‌ सा मंजर,

बेहद खुशी की अनुभूति कराता है,


सुंदर अहसास मन‌ में भर जाता है,

कविता के नए बोल जगा जाता है।


चाय के सुस्वादु प्याले व ऊष्मा संग,

उस मंजर में पूरी तरह खो जाती हूँ।


रच डालती हूँ कभी कोई नई कविता,

कभी कहानी के प्लाट ही बुन लेती हूँ।


विहंगम दृश्य, सुंदर चहचहाट के बीच,

प्रेरक तत्व मन मस्तिष्क को मिल जाते हैं,


जो व्यवसायिक जीवन में मेरे काम आते हैं।


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