बातें ख़ुद से
बातें ख़ुद से
आज बातें बहुत सारी करनी है
जीने की, जीते चले जाने की
पैरों को बतलाना है, आभार जतलाना है
चलाते रहे, दौड़ाते रहे,
चाहा जहाँ मैंने,वहीं ले जाते रहे
जाने क्या क्या खाया, तूने सब पचाया,
पेट पर अपने प्यार से हाथ फिराया
कुछ यूँ, अपना आभार जताया
ग़म और ख़ुशी के लम्हे तमाम दिखाने वाली,
आंसू ! ग़म और ख़ुशी में साथ साथ बहाने वाली
एक जोड़ी आँखों को देख शीशे में, मैं मुस्कुराया
बतीस हो, पर एक साथ सब कुछ चबाया,
जो भी मैंने खाया प्यार से सबको जीभ से सहलाया
मीठे का स्वाद बता, गले लगाया
कड़वा न मुझे,न तुझे भाया
मीठे /कड़वे बोल में खूब साथ निभाया
जीभ को मैंने याद दिलाया
कभी कभी दर्द कर जाते हैं,
यह घुटने मगर बहुत काम आते हैं
हर अंग से कुछ बातें कर डाली
देखी आज इक दुनिया निराली
मैं से परे मुझ में, है एक परिवार समाया
देर से सही, मुझे यह समझ तो आया।