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Vivek Mishra

Abstract Tragedy

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Vivek Mishra

Abstract Tragedy

वह बिना कहे मर गया

वह बिना कहे मर गया

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वह बिना कहे मर गया,

जो दिल में बसी थी तन्हाइयाँ,

वह बिना कहे मर गया,

जो इश्क़ में थी अनकही दुआयें।


आँखों में जो सपने थे,

वो अब तक अधूरे हैं,

कितनी बार उसे ज़िन्दगी की राहों में

हमने खोजा, वो अब दूर है।


कभी उसके बिना जीने का ख़्वाब देखा,

लेकिन अब वह बिना कहे मर गया।

उसकी हंसी की गूंज अब कानों में नहीं,

वो ख़ामोशी में खो गया,

वो बिना कहे मर गया।


हमने उम्मीदों से उसे ढूँढ़ा,

फिर भी हर रास्ता ख़ाली था,

उसे महसूस किया हमने,

फिर भी वह छुपा था।


वह बिना कहे मर गया,

हमें छोड़कर चला गया,

कभी पास था, अब दूर है,

वह बिना कहे मर गया।


इश्क़ में हमें सिखाया था उसने,

कभी कहने की ज़रूरत नहीं होती,

कभी एहसास ही काफ़ी होता है,

लेकिन वह बिना कहे मर गया।


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