कुछ तो हमें
कुछ तो हमें
कुछ तो हमें मौसम रास नहीं आते थे
कुछ बारिशों की अपनी सियासत भी बहुत थी
कुछ फूलो के मुकद्दर में भी बिखर जाना था
और कुछ हमारी मिट्टी में बगावत भी बहुत थी।
कुछ दिल के अरमानों की नज़र आसमान पे थी
कुछ पैरों में मेरे लडखडाहट भी बहुत थी।
कुछ ख्वाबों के नसीब में तो टूट जाना था
और कुछ आंखें में मेरे तरावट भी बहुत थी।
कुछ उसकी दुनिया में खुशी भी महँगी थी
कुछ उसको मुझसे पुरानी अदावत भी बहुत थी
कुछ उसने भी दिल मे एक ज़िद सी से ठान रखी थी
और कुछ हमको भी ना झुके की आदत भी बहुत थी।
कुछ रिश्तों में समझ की ज़रुरत थी शायद
कुछ रिश्तों में हल्की मस्कुराहट भी बहुत थी
कुछ उनको ये बात गले उतरी नहीं कभी
और कुछ हमको नासमझी की आदत भी बहुत थी
कुछ तुम में बात रखने का सलीका भी नहीं था
कुछ हम में तहजीब की कसावट भी बहुत थी
कुछ तुम सच सुनने का हौसला भी नहीं था
और कुछ हम में सच कहने की आदत भी बहुत थी।