उसको पाने की चाहत
उसको पाने की चाहत
उस शख्स को पाने की तलब में खुद को खोती जा रही हूं,
उतनी खुद की नहीं मैं अब जितनी उसकी होती जा रही हूं।
वो पागल सा शख्स पागल मुझे किए जा रहा हैं,
दूर होकर भी मुझसे, मुझमें अब अपना घर किए जा रहा है।
वो शख्स इतना सब करके अनजान सा बन जाता है,
मोहब्बत है किससे ये सवाल वो हमसे बार बार किए जाता है।
कमाल का है वो बन्दा भी पास करके हमें खुद के,
सबसे से हमें वो अब जैसे दूर किए जा रहा हैं।
गुस्सा करूँ उस पर कभी कभी मैं भी ये फिर सोचती हूं ,
जादू है या है मोहब्बत, दिल उसके गुस्से से भी मोहब्बत किए जा रहा है।

