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Geeta Upadhyay

Drama

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Geeta Upadhyay

Drama

उसके बाल दिए काट

उसके बाल दिए काट

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आज मुझे वो मासूम नादांन 

भोली गुड़िया बहुत याद आई है।

मम्मा से रोज स्कूल जाते समय

चोटियां बनाने की उसकी

 रोज लड़ाई है 


नसीहतों की टॉनिक मम्मा ने तो

सुबह से ही उसे पिलाई है

एक दिन दोनों हाथों को खुजाते हुए 

जरा मंद मंद मुस्कुराते हुए

आई मेरे निकट 


बोली -दीदी समस्या है बड़ी विकट 

मैंने कहा- फरमा ऐसे मत शरमा

उसने फरमाया -दीदी आज मैंने 

अपने बालों में तेल नहीं लगाया

 

इतने लंबे लंबे बाल संभाला

नहीं जाता इनका बवाल

रोज-रोज की परेशानी

सुनकर मुझे हुई बड़ी हैरानी

 

मुझ पर जैसे प्लीज काट दो ऐसे

फैंसी स्टाइल भी चलेगा वैसे

सोचा मैंने इसकी दो चोटियां

लंबी-लंबी यह बनाती है उन्हें


लगती है कितनी प्यारी

ऐसी चोटियां होती काश एक

 ख्वाहिश थी हमारी

 मैंने उसे समझाना चाहा तो 


उसने फरमाया -यह बाल तो दीदी

हमारे खेत की मूली है

जब चाहो फूली है

मॉडर्न लगना है तो

बालों को काटना है 


मैंने सोचा कि 

क्यों इसकी इच्छा को कुचलना है

जब इसकी मॉडर्न बनने की तमन्ना है 

तो मैंने झटपट बढ़ाया हाथ और

"उसके बाल दिये काट"


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