उसके बाद का सहारा
उसके बाद का सहारा
प्यार कैसे करें इसका भी क्लास होता है,
पास हुआ तो खुशी नहीं तो हाथ में ग्लास होता है।
अगर वह मिली तो जिंदगी जन्नत होती है,
और नहीं मिली तो पैसा होकर भी साला वनवास होता है।
पता नहीं क्या कर रहा हूं
उसकी याद में,
उस दिन के बाद कुछ ना रहा
मैं तो मैं हूं, मैं नहीं रहा मुझ में।
हर रोज वह पलकों पर आती है,
आंख ना लगती मेरी ना नींद पूरी हो पाती है,
ना कभी हमने चढ़ाई थी,
उतरने की कोशिश की हमने
पर वह उतर नहीं पाती है।
जाने क्या यह दस्तूर हो चला है,
जाने कैसा कुसूर बढ़ चला है,
कोयले की खदान के पत्थर थे हम,
बिछड़ने के बाद हमारा नूर ढल चला है।
हमने भी भुलाने की कोशिश की मगर वह भूलते नहीं,
कहानी है कई बातें लेकिन कहते नहीं,
उनके बिना अब इश्क में सहारा कोई?
दारू बिना और कोई होगा भी नहीं।