उम्मीदें
उम्मीदें
सबकी यहां पे अपनी-अपनी उम्मीदें है
नहीं दुनिया में कोई यहां पे नाउम्मीद है
किसी की भी ना करो देखे उम्मीदें पूरी,
पीठ पीछे चला देगा वो तुम्हारे छुरी,
सबकी यहां पे अपनी-अपनी कीलें है
किसी को दोष मत दे यहां पर साखी,
सबकी यहां पर अपनी-अपनी नींद है
किसी की यहां पर जैसे ही उम्मीद टूटी,
उसकी तो वहीं पर देख लो कश्ती डूबी,
सबकी यहां पे स्वार्थ सूर्य की किरणें है
सबकी यहां पे अपनी-अपनी उम्मीदें है
यूँ तो यह दुनिया बहुत ही बड़ा दरिया है,
यहाँ सबकी अपनी-अपनी स्वार्थ-बूँदें है
लोगो से ज़रा उम्मीद लगाने का मतलब,
अपनी महफ़िल मे गूंजेंगी तेरी चीखें है
उम्मीद लगाना है साखी खुद से ही लगा,
ख़ुद से खुद की उम्मीदें ही असल परिंदे है
बाकी सब उम्मीदें तो बिना पर के परिंदे है
सबकी यहां पे अपनी-अपनी उम्मीदें है