उलझन
उलझन
उलझन जो दिल में बनाई तूने
पार पाऊं कैसे
गुजरे लम्हे पल में भूल जाऊं कैसे
सुलझा भी पाऊं तेरे बिना तो
पार पाऊं कैसे
जीया नहीं जा रहा मर जाऊं कैसे
उलझन में पड़ी जिंदगी को
इससे छुड़ाऊं कैसे
बिन देखे तेरा मुखड़ा दिन बताऊं कैसे
सुलझ जाए जो ये प्यार तो बताऊं कैसे
उलझ जाए जो ये जिंदगी को बिताऊं
कैसे
उलझी तेरी नजरें तो उसे बचाएँ कैसे
सुलझ जाएगी अगर नजरें
खुद को बचाएँ कैसे....
